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भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास, गोविंद नगर, मध्यप्रदेश

 

अनार फार्मिंग

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न्यास आत्म निर्भर और स्वाबलंबी बने इस हेतु कृपि तथा बागवानी के क्षेत्र में प्रयास कर रहें हैं। न्यास में पूर्व उपलब्ध अनुपयुक्त भूमि जिसका स्वरूप जंगल के समान हो चुका था । वर्पों से पड़ी बेकार भूमि जिसमें झाड़ी आदि साफ कराकर कृपि योग्य बनाया गया। इस हेतु मई 2011 में विभिन्न यांत्रिक विधियों द्वारा सुधार किया गया। जून 2011 मंे अनार पौध रोपण की पूर्व तैयारी की गई। तथा किसान इरीगेशन कंपनी द्वारा ड्रिप सिस्टम द्वारा लगाया गया। जिसके लिए मध्य परिक्षेत्र में नलकूप खनन का कार्य हुआ तथा 250 फीट गहरा सफल नलकूप लगाया गया। तथा आवश्यकता पड़ने पर वेणु भारती परिसर के नलकूप से सिस्टम का कनेक्सन किया गया। पूरे ड्रिप सिस्टम में 90M.M. 75M.M. तथा 63M.M. पाइपों का प्रयोग हुआ । तथा 16 M.M. की लेटरल बिछायी गई। एक लेटरल पर अधिकतम 30 पौधे रखे गए।

तैयारी

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माह जून में 70 ट्राली सड़ी गोबर की खाद क्रय की गई जिसको मजदूरों द्वारा चिन्हित बैडों पर डाला गया। एवं मिट्टी में मिलाया गया।

परिक्षेत्र का आकार एवं पौधों की जानकारी

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संपूर्ण रोपित क्षेत्रफल 13.5 एकड़ जिसमें 6500 सिंदूरी किस्म के अनार के पौधे रोपित हैं। जिनका रोपण प्रथम सप्ताह जुलाई 2011 में पूर्ण हुआ।

अनार की देखरेख

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रोपण के पहले बैडों पर 10 कि.ग्रा. प्रति बैड सड़ी गोबर की खाद तथा 500 ग्रा. एस.एस.पी., 1ली. प्रति बैड क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. का प्रयोग किया गया। बरसात में ऊगे अनावश्यक खरपतबारों को टेक्टर एवं मजदूरों द्वारा निकाला गया। तथा कीटों की रोकथाम हेतु विभिन्न प्रकार के रसायनों का समय-समय पर प्रयोग किया गया।

अंतर्वर्ती फसलें

खरीफ के मौसम में मूंगफली की फसल उगाई साथ ही दो एकड़ भूमि में मिर्ची, बैंगन, टमाटर आदि सब्जियों को उगाया गया। इसके अलावा नबम्बर 2011 में आलू, चना, मटर, प्रयोग के तौर पर लगाए।

बागौड़

फेंसिंग के आसपास अर्जुन, बांस के पौधों का बरसात में रोपण किया गया। जिनमें अधिकांशतः पौधे स्वस्थ और प्रगति पर है।

महत्व एवं उपयोग

  • आर्थिक- न्यास आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बने इस हेतु एक प्रयास किया जा रहा है।
  • पर्यावरण की दृप्टि से हरित वातावरण ।
  • क्षेत्रीय किसानों के लिए एक नया संदेश ।
  • नवीन प्रयोगों के अवसर प्राप्त होना ।
  • ग्रामीणों एवं जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध कराना ।

मजदूरों हेतु यह ध्यान रखा गया कि ग्राम पलिया पिपरिया के प्रत्येक मजदूर परिवार से कम से कम एक सदस्य को समय समय पर मजदूरी उपलब्ध कराई। तथा जरूरत मंदों को प्राथमिकता दी गई। ग्राम की पिछड़ी समाज रझड़ एवं ठाकुर आदिवासी जो “शराब बनाने का काम मुख्य रूप से करते है। जिस हेतु हमारे पेड़ों को जबरजस्ती काटते थे। एवं हमारे प्रति नाकारात्मक व्यवहार रखते थे। अनार में मजदूरी के माध्यम से जोड़ा एवं उनके बीच अपनी पहुंच बनाई, जिसके चलते आज पूर्व समस्या हरे भरे पेड़ों को काटना बंद हो गया। और हमारे सामाजिक तथा अन्य कार्यों में इनकी सहभागिता बढ़ी।

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